Labels: Bade Ghar Ki Beti, Famous stories, Hindi audio book, hindi kahaniyan, kahani, kahaniyon mein aawaaz, premchand, Shanno Aggarwal, stories, story in voice, story narration, suno kahani इन्हें भी पढ़ें Bade Ghar Ki Beti (बड़े घर की बेटी) by Premchand. बाप ने जिस मतलब से बात पलटी थी, वह उसकी समझ में न आया। बोला—लालबिहारी के साथ अब इस घर में नहीं रह सकता।, बेनीमाधव—बेटा, बुद्धिमान लोग मूर्खों की बात पर ध्यान नहीं देते। वह बेसमझ लड़का है। उससे जो कुछ भूल हुई, उसे तुम बड़े होकर क्षमा करो।, श्रीकंठ—उसकी इस दुष्टता को मैं कदापि नहीं सह सकता। या तो वही घर में रहेगा, या मैं ही। आपको यदि वह अधिक प्यारा है, तो मुझे विदा कीजिए, मैं अपना भार आप सॅंभाल लूँगा। यदि मुझे रखना चाहते हैं तो उससे कहिए, जहॉँ चाहे चला जाय। बस यह मेरा अंतिम निश्चय है।, लालबिहारी सिंह दरवाजे की चौखट पर चुपचाप खड़ा बड़े भाई की बातें सुन रहा था। वह उनका बहुत आदर करता था। उसे कभी इतना साहस न हुआ था कि श्रीकंठ के सामने चारपाई पर बैठ जाय, हुक्का पी ले या पान खा ले। बाप का भी वह इतना मान न करता था। श्रीकंठ का भी उस पर हार्दिक स्नेह था। अपने होश में उन्होंने कभी उसे घुड़का तक न था। जब वह इलाहाबाद से आते, तो उसके लिए कोई न कोई वस्तु अवश्य लाते। मुगदर की जोड़ी उन्होंने ही बनवा दी थी। पिछले साल जब उसने अपने से ड्यौढ़े जवान को नागपंचमी के दिन दंगल में पछाड़ दिया, तो उन्होंने पुलकित होकर अखाड़े में ही जा कर उसे गले लगा लिया था, पॉँच रुपये के पैसे लुटाये थे। ऐसे भाई के मुँह से आज ऐसी हृदय-विदारक बात सुनकर लालबिहारी को बड़ी ग्लानि हुई। वह फूट-फूट कर रोने लगा। इसमें संदेह नहीं कि अपने किये पर पछता रहा था। भाई के आने से एक दिन पहले से उसकी छाती धड़कती थी कि देखूँ भैया क्या कहते हैं। मैं उनके सम्मुख कैसे जाऊँगा, उनसे कैसे बोलूँगा, मेरी ऑंखें उनके सामने कैसे उठेगी। उसने समझा था कि भैया मुझे बुलाकर समझा देंगे। इस आशा के विपरीत आज उसने उन्हें निर्दयता की मूर्ति बने हुए पाया। वह मूर्ख था। परं, तु उसका मन कहता था कि भैया मेरे साथ अन्याय कर रहे हैं। यदि श्रीकंठ उसे अकेले में बुलाकर दो-चार बातें कह देते; इतना ही नहीं दो-चार तमाचे भी लगा देते तो कदाचित् उसे इतना दु:ख न होता; पर भाई का यह कहना कि अब मैं इसकी सूरत नहीं देखना चाहता, लालबिहारी से सहा न गया ! …, g!6. When we talk about Hindi literature, the discussion can never be complete without the mention of Munshi Premchand. नास्तिक" से एक अंश), यदि आप अपनी कविताओं/गीतों/कहानियों को एक प्रोफेशनल आवाज़ में डब्ब ऑडियो बुक के रूप में देखने का ख्वाब रखते हैं तो हमसे संपर्क करें-hindyugm@gmail.com व्यवसायिक संगीत/गीत/गायन से जुडी आपकी हर जरुरत के लिए हमारी टीम समर्पित है, आप क्या कहना चाहेंगे? Bade Ghar Ki Beti (बड़े घर की बेटी) is a story of a rich girl Anandi, who averts a clash between her husband and his middle-class family through her sensibility, understanding and intelligence. आनंदी की त्योरियों पर बल पड़ गये, झुँझलाहट के मारे बदन में ज्वाला-सी दहक उठी। बोली--जिसने तुमसे यह आग लगायी है, उसे पाऊँ, मुँह झुलस दूँ।, श्रीकंठ--इतनी गरम क्यों होती हो, बात तो कहो।, आनंदी--क्या कहूँ, यह मेरे भाग्य का फेर है ! Get the best of SheThePeople delivered to your inbox -. समयजयी कथाकार की कालजयी कहानी का भाव और रस के अनुकूल पाठ सुनकर मन आनंदित है. You can specify conditions of storing and accessing cookies in your browser, Summary on "bade ghar ki beti" by Munshi Premchand, Class-9, ICSE pattern, lekhak Premchand ke sath kis darji bhi baitha kar raha hai, राजकीय केंद्र में स्थित कमल महल को यह नाम किसने दिया था, 1. Thirty days make a month.5. वाचिका बधाई की पात्र हैं संयोजक को साधुवाद. We'll publish them on … नहीं तो गँवार छोकरा, जिसको चपरासगिरी करने का भी शऊर नहीं, मुझे खड़ाऊँ से मार कर यों न अकड़ता।, श्रीकंठ--सब हाल साफ-साफ कहा, तो मालूम हो। मुझे तो कुछ पता नहीं।, आनंदी--परसों तुम्हारे लाड़ले भाई ने मुझसे मांस पकाने को कहा। घी हॉँडी में पाव-भर से अधिक न था। वह सब मैंने मांस में डाल दिया। जब खाने बैठा तो कहने लगा--दल में घी क्यों नहीं है? नमस्कार, इस article में मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) द्वारा रचित बड़े घर की बेटी कहानी (Bade Ghar Ki Beti Story) दी गयी है. May I come in?17. हमारी यह पेशकश आपको पसंद आई?
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